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जीवन में हास्य ठिठोली आवश्यक भले ही हो,किन्तु जीवन ही कहीं ठिठोली न बन जाये यह भी देखना होगा.सबको साथ ले हंसें किसी पर नहीं! मनोरंजन और छिछोरापन में अंतर है.स्वतंत्रता और स्वच्छंदता में अंतर है.अधिकार से पहले कर्तव्यों को भी समझें. तिलक.(निस्संकोच ब्लॉग पर टिप्पणी/ अनुसरण/ निशुल्क सदस्यता व yugdarpanh पर इमेल/ चैट करें, संपर्कसूत्र- तिलक संपादक युगदर्पण 09911111611, 09911145678,09654675533



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बिकाऊ मीडिया -व हमारा भविष्य

: : : क्या आप मानते हैं कि अपराध का महिमामंडन करते अश्लील, नकारात्मक 40 पृष्ठ के रद्दी समाचार; जिन्हे शीर्षक देख रद्दी में डाला जाता है। हमारी सोच, पठनीयता, चरित्र, चिंतन सहित भविष्य को नकारात्मकता देते हैं। फिर उसे केवल इसलिए लिया जाये, कि 40 पृष्ठ की रद्दी से क्रय मूल्य निकल आयेगा ? कभी इसका विचार किया है कि यह सब इस देश या हमारा अपना भविष्य रद्दी करता है? इसका एक ही विकल्प -सार्थक, सटीक, सुघड़, सुस्पष्ट व सकारात्मक राष्ट्रवादी मीडिया, YDMS, आइयें, इस के लिये संकल्प लें: शर्मनिरपेक्ष मैकालेवादी बिकाऊ मीडिया द्वारा समाज को भटकने से रोकें; जागते रहो, जगाते रहो।।: : नकारात्मक मीडिया के सकारात्मक विकल्प का सार्थक संकल्प - (विविध विषयों के 28 ब्लाग, 5 चेनल व अन्य सूत्र) की एक वैश्विक पहचान है। आप चाहें तो आप भी बन सकते हैं, इसके समर्थक, योगदानकर्ता, प्रचारक,Be a member -Supporter, contributor, promotional Team, युगदर्पण मीडिया समूह संपादक - तिलक.धन्यवाद YDMS. 9911111611: :

Wednesday, December 14, 2011

कृपया, एक बार सोचें अवश्य / क्या आपने कभी सोचा है ?

DESH KE CHAUKIDAR, देशका चौकीदार कहे- देश भक्तो, जागते रहो- संपादक युगदर्पण
कृपया, एक बार सोचें अवश्य / क्या आपने कभी सोचा है ? 
यदि आप 31 दिस. की रात के हंगामे से जुड़ने जा रहे हैं, कृपया, एक बार सोचें अवश्य / बेगानी शादी में अब्दुल्ला दीवाना तो सुना था किन्तु बिना कारण का हंगामा व् बर्बादी क्यों ? जिसे नया वर्ष बताया जा रहा है, वह मात्र एक कैलेंडर का बदलना ही तो है ! उस कैलेंडर के बदलने से हमारे जीवन का क्या बदल रहा है ? कुछ नहीं, न ही उसका हमारे इतिहास या संस्कृति के किसी महत्वपूर्ण दिवस से कोई सम्बन्ध है, न सृष्टि की रचना से ! जिसको ईस्वी संवत कहते हैं उसका ईसा के जनम से भी कोई सम्बन्ध नहीं, वो भी 25 दिस. को है ! तो फिर 31 की रात हंगामा किस बात का ? केवल सर्दियों में होटल क्लब अपनी मंदी मिटाने व सूरा सुंदरी की बिक्री के लिए गढ़ा गया, अंग्रेजी भाषा, व अंग्रेजी नया वर्ष वास्तव में अंग्रेजी दासत्व तोलने का एक तराजू है ! जब तक यह चलेगा उनको दीखता रहेगा की सत्ता हस्तांतरण के बाद भी हमारे दास अपनी दास मानसिकता से चिपटे है !
अंग्रेजी भाषा, व अंग्रेजी नया वर्ष को त्यागकर ही तो हम दूसरी आज़ादी का शंख नाद कर सकते हैं ! तो आओ हम सब इनका परित्याग करने का प्राण करें !


तिलक संपादक युगदर्पण राष्ट्रीय साप्ताहिक हिंदी समाचार-पत्र. 09911111611. पत्रकारिता व्यवसाय नहीं एक मिशन है-युगदर्पण 
जीवन ठिठोली नहीं,जीने का नाम है!

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